कोलारस में शिक्षा का अधिकार छिनने का मामला: लुकवासा विद्यालय में धूल खा रही किताबें

Samwad news
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शिवपुरी (कोलारस) – शिक्षा में सुधार के लिए किए गए बड़े-बड़े दावों के बावजूद, कोलारस जनपद शिक्षा केंद्र के लुकवासा एकीकृत माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा की स्थिति की वास्तविकता कुछ और ही दर्शाती है। यहां पर छात्रों के लिए बंटने वाली किताबों का ढेर पड़ा है, जो लगभग 40 विद्यालयों में वितरित होने के लिए निर्धारित थीं। ये पुस्तकें भविष्य को संवारने के लिए महत्वपूर्ण थीं, लेकिन अब ये धूल खा रही हैं या फिर बेकार में फेंकी जा रही हैं।

क्या समय पर इन किताबों का वितरण नहीं किया जाना चाहिए था?

शिक्षा विभाग का यह कर्तव्य था कि इन किताबों को समय पर छात्रों तक पहुंचाए, ताकि वे अपने पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई शुरू कर सकें। इसके बजाय, ये किताबें अनदेखी रह गईं। अब यह सवाल उठता है कि क्या यह केवल एक लापरवाही है, या इसके पीछे कोई अन्य कारण हो सकता है?

छात्रों के सपनों पर खतरा

इन किताबों से पढ़कर कई छात्र अपने सपनों को साकार कर सकते थे। ये किताबें गरीब छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी बन सकती थीं, लेकिन अब ये कचरे का हिस्सा बन गई हैं। अगर शिक्षक और प्रशासन भी शिक्षा सामग्री का सम्मान नहीं करेंगे, तो छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि कैसे बढ़ेगी?

बंदरगाह के पीछे की उदासीनता या साजिश?

यह मामला केवल लापरवाही का नहीं, बल्कि प्रशासनिक चूक का भी प्रतीक है। क्या इन किताबों को रोककर किसी तरह का भ्रष्टाचार किया जा रहा था? क्या इन्हें बेचा जाने वाला था या अगले वर्ष उपयोग के लिए बचाकर रखा गया था?

जिम्मेदारी किसकी?

शिक्षा विभाग के अधिकारियों और विद्यालय प्रशासन की इस संदर्भ में जवाबदेही तय की जानी चाहिए। यदि समय पर इन किताबों का वितरण किया जाता, तो सैकड़ों छात्र लाभान्वित हो सकते थे। अब जबकि यह मामला सामने आया है, शिक्षा विभाग को इस पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और दोषियों पर कठोर कदम उठाने चाहिए।

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का अंत कब होगा?

शिक्षा प्रत्येक छात्र का अधिकार है, और किताबें उस अधिकार की पहली सीढ़ी हैं। यदि छात्रों को समय पर ये किताबें नहीं मिलेंगी, तो उनका भविष्य अंधकार में चला जाएगा। जरूरी है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। अन्यथा, ‘सबके लिए शिक्षा’ केवल कागजों में ही सीमित रह जाएगी।

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