गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) कार्यकर्ताओं ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने डीईओ को उनके कक्ष में बंद कर तीन घंटे तक धरना दिया। इस दौरान अभाविप ने शिक्षा विभाग पर कई गंभीर आरोप लगाए, जिनमें नियमों की अनदेखी कर विभिन्न स्कूलों को मान्यता देने का मामला भी शामिल है।
अभाविप ने निजी स्कूलों में अनियमित फीस वृद्धि का विरोध किया और छात्रों पर अधिक बोझ डालने वाली नीतियों को पुनर्विलोकन करने की मांग की। इसके साथ ही संगठन ने निजी पब्लिकेशन की किताबों की बिक्री और विशेष दुकानों से स्कूल ड्रेस खरीदने की अनिवार्यता पर कड़ी आपत्ति जताई। नगर मंत्री विक्रम गुर्जर ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो जिलेभर में चरणबद्ध आंदोलन होंगे।
गुर्जर ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा लागू किए गए शाला संचालन शुल्क को समाप्त करने की मांग की गई है, साथ ही सरकारी शिक्षकों द्वारा चलाए जा रहे निजी कोचिंग कक्षाओं पर रोक लगाने की भी बात की गई। इस प्रदर्शन में मयंक रजक, प्रिंस यादव, कृष्णा योगी, शिवम् शर्मा, मयंक कलावत समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।
अभाविप ने शिक्षा का अधिकार सभी बच्चों का होना बताया और इसका किसी भी व्यक्तिगत या सामूहिक हित से प्रभावित नहीं होना चाहिए। संगठन ने प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे सुधारों की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने शिक्षा विभाग को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए अभाविप की यह मुहिम आवश्यक है, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके और शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया जा सके। सरकार और शिक्षा विभाग को इन समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत और न्यायपूर्ण शिक्षा प्रणाली स्थापित की जा सके।