चिटोरीखुर्द गांव की आदिवासी बस्ती के लोग पीने के पानी के लिए रोज़ दो किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं। गांव का एकमात्र हैंडपंप वर्षों से खराब है और अब पूरी बस्ती जल संकट से त्रस्त है।
ग्रामीणों ने कलेक्टर को आवेदन सौंपते हुए मांग की है कि आंगनबाड़ी केंद्र के पास नई बोरिंग कर विद्युत मोटर व पाइपलाइन की व्यवस्था कराई जाए।
उर्मिला आदिवासी ने बताया कि मजदूरी कर पेट पालने वाले लोग पानी के इंतजाम में ही पूरा दिन गंवा देते हैं, जिससे मजदूरी छूट जाती है।
दर्जनों ग्रामीणों ने हस्ताक्षर कर ज्ञापन सौंपा है और मांग की है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के माध्यम से इस समस्या का तुरंत समाधान किया जाए।