शिवपुरी में शराब दुकान के खिलाफ स्थानीय निवासियों का विरोध

Samwad news
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शिवपुरी शहर के ग्वालियर बायपास चौराहे के निकट 1 अप्रैल से खोली गई शराब दुकान के खिलाफ स्थानीय निवासियों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। लोगों ने मंगलवार को कलेक्टर रविन्द्र चौधरी को ज्ञापन सौंपकर दुकान बंद कराने की मांग की है।

नियमों का उल्लंघन

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दुकान राष्ट्रीय राजमार्ग से केवल चार कदम की दूरी पर है, जबकि नियमों के अनुसार, शराब की दुकान को राष्ट्रीय राजमार्ग से कम से कम 500 मीटर दूर होना चाहिए। इसके साथ ही, यह दुकान हॉलीवुड इंटरनेशनल स्कूल और भारतीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सिर्फ 350 मीटर, तथा प्रसिद्ध माता मंदिर के केवल 50 मीटर दूर स्थित है, जिससे नियमों का उल्लंघन साबित होता है।

पोहरी विधायक का कथित संरक्षण

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह के सहयोग से शराब ठेकेदार कामेश शिवहरे ने इस दुकान को खोला है। उनका कहना है कि इस दुकान की मौजूदगी क्षेत्र में असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है, जिससे स्कूली बच्चों और महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दुकान हटाने की मांग

गुस्साए स्थानीय निवासियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने दुकान को तत्काल बंद करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो वे प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

इसी क्रम में, लक्ष्मीनिवास ए.बी. रोड पर स्थित दुकानदारों और रहवासियों ने भी कलेक्टर से शराब दुकान हटाने की मांग की है। उनका आरोप है कि यह दुकान पहले खाली पड़ी जगह पर कंटेनर में संचालित हो रही थी, लेकिन अब इसे दूसरी जगह लाकर खोला गया है, जहां अन्य दुकानें और कई परिवार भी निवास करते हैं।

नागरिक उड्डयन मंत्री और एनएचएआई को पत्र

स्थानीय लोगों ने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नेशनल हाईवे अथॉरिटी को भी पत्र भेजकर इस मामले की जानकारी दी है और जल्द कार्रवाई की मांग की है। इस मुद्दे पर लोगों की चिंता और निराशा स्पष्ट है, और वे आशा कर रहे हैं कि प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई करेगा।

स्थानीय समुदाय की एकता दिखी

स्थानीय निवासियों के इस विरोध ने एकता का संदेश दिया है कि वे अपने अधिकारों और क्षेत्र की भलाई के लिए खड़े हैं। यह मुद्दा आने वाले दिनों में और भी तूल पकड़ सकता है, यदि प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए।

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